प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 24)
प्रेमम (भाग : 24)
क्रेकर से बकवास करते, आंतरिक चिंता में डूबा अनि मसूरी से बाहर जंगलों की सीमा पर आ चुका था, अब भी वह लगातार नौटंकी किये जा रहा था। तभी उसका स्पेशल एंड्रॉइड रिर्प घनघना उठा, कुछ सोचते हुए अनि ने अपने कान में इयरपीस घुसेड़कर कॉल रिसीव किया।
'एक कान में भी घुसेड़वा देते, हाथ बांध दिये हैं मेरा!' ब्रेसलेट वाली जगह हो देखता हुआ अनि बुदबुदाया।
"हेलो! एजेंट सुप्रीम ईगल 'कोडनेम शा' स्पीकिंग।" अनि के कानों में शहद घोलते हुए किसी लड़की की मीठी आवाज गूंजी। मगर इस आवाज में थोड़ी मशीनी मिलावट होती थी, जिस कारण एजेंट आपस में मिलने पर भी एक दूसरे की आवाज से एक दूसरे को नहीं पहचान सकते थे।
"ईट्स अनि हिअर! एंड आई एम वेरी बिजी फ़ॉर नाउ!" अनि जल्दी-जल्दी से बोला।
"ईट्स एन इमरजेंसी सुप्रीम ईगल! तुम्हें अपने सारे काम छोड़कर इसपर ध्यान देना होगा।"
"क्या? बट मैं आलरेडी एक मिशन पर हूँ! और इसे पूरा करना कम्पलसरी है।" अनि ने सपाट स्वर में कहा।
"ये सारी जानकारी उसी मिशन के अबाउट है सुप्रीम ईगल! एजेंट शा यानी मुझे भी इसी मिशन को सौंपा गया है।" एजेंट शा ने जवाब दिया।
"चीफ को पता है न मुझे सारे काम अकेले करने पसन्द हैं फिर.. उन्होंने तुम्हें क्यों सौंपा? वो भी मेरा ही मिशन!" अनि नाराज होते हुए बोला।
"मुझे यह काम गुप्त तरीके से करने को कहा गया है और मेरा मिशन सिर्फ ब्लैंक के मकसद के बारे में पता लगाना था। ये तुम्हारे मिशन से बिल्कुल अलग है।" एजेंट शा ने बड़े विनम्रता से उत्तर दिया।
"ओके अब बताओ तुम्हें क्या लीड मिली! दरअसल मुझे अपनी पप्पा की भैंसिया को ढूंढना है, शायद किसी गड्ढे में गिर गयी होगी, आयी नही बिचारी!" अनि मस्ताने अंदाज़ में बोला।
"अनि…!" एजेंट शा लगभग चीखते हुए बोली। "आपको पता है आप हमसे मजाक नहीं कर सकते सुप्रीम ईगल! हमें सिर्फ औपचारिक बातों की अनुमति है।"
"तो फिर जल्दी बकिये न मिस ब्लैक वुल्फ!" अनि ने उत्सुकता दिखाने की इच्छा से बोला।
"ये ब्लैंक दरअसल किसी सदियों पुरानी चीज के पीछे पड़ा हुआ है। वो क्या है, कोई खजाना है या कुछ और यह तो समझ नही आया पर इतना साफ है कि उसने अब तक जो भी किया और कर रहा है उसमें उसका मकसद यही है। वो कुछ हासिल करना चाहता है जो शायद उसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान बना दे!"
"रुक जाओ एक मिनट! इंसान किधर से लगता है वो तुम्हें!"
"तुम्हें कोई भी अनौपचारिक बात करने की अनुमति नहीं है मिस्टर! पूरी बात ध्यान से सुनो!
उसने ऐसे बच्चों को किडनैप किया जिसके आगे पीछे कोई न था, यानी ऐसे बच्चों के खो जाने पर भी ज्यादा लोग कोई अफसोस नहीं करते, और ब्लैंक ने इसी का फायदा उठाया। उसे हर किसी की कमज़ोर नस अच्छे से पता है और वह सीधा वहीं वार करता है। उसके ट्रेंड लड़ाकों को फाइटिंग स्किल्स से ज्यादा कभी मुँह न खोलने शिक्षा अधिक दी जाती है। मुझे नहीं लगता कि वह कहीं हमला करने वाला है क्योंकि उसका मकसद बहुत बड़ा है, उसने ऐसी खबर खुद ही फैलाई और फिर सभी उसके ही जाल में फंसते चले गए।
यहां तक कि तुम भी उसे नहीं रोक सके, ब्लैंक तुम्हें केवल भटकाना चाह रहा था जिसमे की वह पूरी तरह से सफल रहा।"
"बाकी का ज्ञान बाद में मिस ब्लैक वुल्फ! सीधा बताओ उसका मकसद क्या है, अगर वो दिल्ली पर हमला नहीं करना चाहता तो इतने सारे असले-बारूद का वो क्या करेगा? और उन मासूमों के खून से उसका मकसद पूरा कैसे होगा?"
"मुझे सबकुछ क्लियर पता नहीं चल पाया है सुप्रीम ईगल! मगर उसे जो चाहिए वह काले जंगल की पहाड़ियों में है और यह जंगल मसूरी में ही कहीं गुप्त रूप से छिपा हुआ है। यह सारा प्रयास उस जंगल को ढूंढने का किया जा रहा है, जिसे शायद अब तक वह ढूंढ चुका होगा।"
"मगर यह काला जंगल क्या चीज है? और ब्लैंक को उससे क्या चाहिए?"
"ये पता करना तुम्हारा काम है सुप्रीम ईगल! तुम्हें उनसे पहले काले जंगल को ढूंढना होगा, ब्लैंक ने आधे से अधिक प्रक्रियाएं पूरी कर दी हैं, अब ये पता करना तुम्हारा काम है कि वह जंगल कहा है और ब्लैंक को उससे क्या चाहिए!"
"मगर…!"
"तुम्हारे लिए सबसे पहले ये मिशन होना चाहिए सुप्रीम ईगल! चीफ का सख्त आदेश है। अभी अपने सारे काम छोड़कर काले जंगल को ढूंढने पर ध्यान दो।"
"ओके मिस शा! थैंक यू!" कहते हुए अनि के चेहरे पर परेशानी के भाव उभरे मगर उसने अगले ही पल उन भावों को दबा लिया। उसे अफसोस था कि पीयू को नहीं ढूंढ पाया पर विश्वास भी था कि उस जैसी बहादुर लड़की का कोई कुछ नहीं कर पायेगा। उसके मन में अनेकों विचार भाव उत्पन्न हो रहे थे, जिन्हें दबाने की कोशिश करते हुए, काले जंगल की तलाश में घने जंगलों में प्रवेश करता गया। क्रेकर पथरीली सड़क पर भी फुल स्पीड में चला जा रहा था।
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अरुण तेजी से आगे बढ़ा चला जा रहा था, उसके चेहरे पर खूंखार भाव नजर आ रहे थे जैसे वह इसी पल किसी को चीर फाड़ने को तैयार हो। उसके होंठो से अब भी खून रिस रहा था, मगर वो सारी पीड़ा पिये लंबे डग भरते हुए वहां से निकल गया। तभी उसे वहां एक दूसरा ट्रक आता हुआ दिखा जो उनकी लाशों के पास जाकर खड़ा हो गया। अरुण बिना पीछे मुड़े वहां से आगे बढ़ता चला गया। चलते चलते वह काफी दूर आ चुका था, उसे थकान हो रही थी मगर सबकुछ इग्नोर करते हुए आगे बढ़ता रहा, सामने एक छोटा सा जल स्त्रोत था, जिसका पानी आसपास के गड्ढों में भरा हुआ था। वह नीचे उतरकर अपना आँख मुँह धोने लगा।
कोयल की मीठी कुहक उसके कानों में मिश्री घोल रही थी, चारों ओर पंछी चहचहा रहे थे, अचानक ही अरुण की आँखों से आँसू बह निकले, उसकी भौहें तन गयीं। चेहरा मानो ज्वालामुखी सा दमक रहा था, उसने अपना सिर पानी में डाल दिया और जबर्दस्ती बाहर आने से रोकता रहा।
"बस बहुत हो चुका तुम सबका, तुम्हारे लालच में मासूम मरते हैं और तुम्हें क्या मिलता है? ये रीत अब बदलेगी, मैं इस आत्मग्लानि के साथ नहीं जी सकता। उफ्फ्फ…!" जोरो से चीखता हुआ अरुण बिफर पड़ा था। उसकी आंखों के सामने उन्ही मासूमों का चेहरा घूम रहा था, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था, बार बार पानी में डुबाने के बावजूद उसका चेहरा पसीने से तर हुआ जा रहा था।
"वो कौन है?" वहां से थोड़ी दूर खड़ा व्यक्ति अरुण को देखते हुए बोला, उसके हाथों में एक अत्याधुनिक गन नजर आ रही थी।
"जो भी हो मगर उसका यहां से जिंदा लौटना अरे लिए ठीक नहीं होगा!" दूसरा व्यक्ति अरुण पर निशाना लगाते हुए बोला।
"मगर क्या पता वो यहां गलती से आ गया हो?" पहले शख्स ने बंदूक ताने रखा और फिर पूछा।
"चाहें जो भी हो हमें सीधा परमिशन है कि जो भी रास्ते में आये उसे यमलोक पहुँचा दो!" दूसरे शख्स ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा।
"बिल्कुल सही बात कही है तुमने! फिर बहस क्यों एक गोली और इसका काम तमाम!" तीसरे बंदूकधारी शख्स ने सहमति प्रदान करते हुए कहा। अगले ही पल उसने गोली दाग दी, उसका निशाना अरुण का सिर था। अरुण ने अपना सिर फिर से पानी में डूबा दिया, वह गोली एक पेड़ के तने में पेवस्त होती चली गयी। मगर उसकी आवाज ने अरुण को सतर्क कर दिया था वह तेजी से दूसरी ओर घुमा, जिसे देखकर वे सभी बंदूकधारी हैरान रह गए।
"ये तो वही है!" उनमें से एक चिल्लाते हुए बोला।
"इंस्पेक्टर अरुण! सबसे बड़ा दरिंदा!"
"तो बॉस ने इसे मारने या पकड़ने वाले को करोड़ो देने का वादा किया है, क्योंकि उनके मुताबिक ये कभी मारा या पकड़ा नहीं जा सकता! हाहाहा...!" हष्ट-पुष्ट शक्तिशाली शरीर का वह शख्स अपनी बन्दूक नीचे करते हुए बोला। "इसके लिए तो मेरी उंगलियां ही काफी हैं!"
"उसे कम मत समझना ब्रेकर! वो आज तक हमेशा मौत से बचकर निकलते आया है।" उस शख्स ने कहा जो उन सबका लीडर नजर आ रहा था।
"क्योंकि उसका सामना कभी ब्रेकर से नहीं हुआ कर्नल!" ब्रेकर गुर्राते हुए आगे बढ़ा।
"तो तुमने जंगलों को भी नहीं छोड़ा है, अब तो तय है कि मैं सही दिशा में आगे बढ़ रहा हूँ। तुमने से किसी पहले मरने की जल्दी है?" अपनी पिस्टल को नचाते हुए अरुण बोला।
"तू बिल्कुल सही दिशा में चला आ रहा है अरुण! अपनी मौत की तरफ!" कर्नल गुर्राया, अरुण का नाम सुनते ही जंगल के सभी नकाबपोश बंदूकधारी वहां एकत्रित हो चुके थे।
"मौत तो अरुण की परछाई है बच्चे! मौत और अरुण की दिशा हमेशा एक ही होती है।" अरुण दहाड़ उठा।
"ब्रेकर!" कर्नल के चीखते ही ब्रेकर हाथी की तरह हुंकार भरते हुए अरुण की तरफ बढ़ा, उसने अपनी गन नीचे फेंक दी। उसको गन फेंकते देख अरुण ने भी अपनी पिस्टल नीचे छोड़ दिया। तेजी से दौड़ता हुआ ब्रेकर अरुण पर शक्तिशाली घुसे से प्रहार किया मगर उसका हाथ बीच में ही रुक चुका था, अरुण ने अपने दोनों हाथों को जोड़कर क्रॉस बनाते हुए उसे निष्फल कर दिया था, इससे पहले ब्रेकर अगला वार करता अरुण की फ्लाइंग किक ने उसका जबड़ा तोड़ दिया।
"तूने मुझे माला, तेली इतनी हिम्मत!" ब्रेकर गुस्से से तुतलाते हुए बोला, उसकी जीभ कट चुकी थी।
"मेरी हिम्मत का अंदाज़ा तो तेरी आने वाली सात पुश्तें भी न लगा पाएंगी मिस्टर हाथी! मगर अफसोस आज तुम बिना बीवी बच्चों के मरने वाले हो।" अरुण उछलकर ब्रेकर पर कूदा पर तब तक वह अपने स्थान से हट चुका था, अरुण का यह वार खाली गया। इससे पहले अरुण उठ पाता, ब्रेकर ने उसकी गर्दन पर जोरदार वार किया, उसका मुंह धूल मिट्टी से सन गया।
कुछ बंदूकधारियों ने अरुण पर बंदूक ताना मगर ब्रेकर ने उन्हें इशारे से मना कर दिया और उसकी पीठ पर एक लात रखकर जोरों से चिंघाड़ने लगे।
"तेरे चर्चे बहुत सुने थे अरुण, मगर अब लगता है कि वो सब झूठे हैं या फिर तू अरुण नहीं है!" कर्नल ने तल्ख लहज़े में व्यंग्यात्मक टिप्पणी की। मगर अगले पल उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं रहा, बिजली की फुर्ती से उठता हुआ अरुण ब्रेकर की गर्दन में पैर फँसाकर उसे धूल चटा चुका था। बाजी पलट चुकी थी, अब अरुण के ऊपर ब्रेकर नही बल्कि ब्रेकर के ऊपर अरुण खड़ा था। तेजी से उछलते अरुण ने उसकी गर्दन पर अपनी कुहनी दे मारी, ब्रेकर हल्की चीख के साथ छटपटाकर शांत हो गया, कर्नल ब्रेकर के उठने जैसे चमत्कार के इंतजार में आँखे फाड़े अरुण को देख रहा था।
"ऐसे क्या देख रहा है? वो अब कभी नही उठेगा, उसकी गर्दन टूट चुकी है!" अरुण ने आँखे नचाते हुए व्यंग्यपूर्ण लहज़े में कहा।
"ये ऐसे नहीं मानेगा! गोलियों से भून दो उसे!" कर्नल चीखा। ब्रेकर उसके दल का सबसे बेस्ट फाइटर था।
"जरूर! तुम सबको अपने दिल के अरमान जरूर पूरे करने चाहिए!" तेजी से पीछे सरकते हुए अरुण ने अपनी पिस्टल उठा लिया, और जूते के सोल को।अलग कर उसमें से मैगजीन निकालते हुए लोड करने लगा।
"फायर!" कर्नल के चिल्लाते ही कई गोलियां एक साथ अरुण की ओर बढ़ चली। अरुण अपने ही स्थान पर गिरकर पीछे लुढ़कता गया, और छपाक के स्वर के साथ पानी में जा गिरा, सभी पानी में अंधाधुंध गोलियां चलाते रहे मगर वहा कोई न था।
"अरुण कभी नहीं छिपता है कर्नल! पानी में तो गलती से एक पत्थर गिर गया था।" पीछे की चट्टान पर खड़ा अरुण कर्नल की ओर उछला, इससे पहले कोई कुछ हरकत कर पाता, कर्नल उसकी गिरफ्त में आ चुका था।
"अगर जान प्यारी है तो अपने बाप का पता बोल!" अरुण ने गुर्राते हुए कहा।
"भून डालो इसे!" अरुण की बात अनसुनी करते हुए कर्नल चीखा।
"क्या भून डालो बे? क्या भूनना है? मकई का दाना समझ रखा है क्या मुझे? अगर तुम में से कोई भी हरकत में आया तो गोली इसके भेजे को चीरते हुए उस पार से निकल जायेगी।" दहाड़ते हुए अरुण बोला, उसकी गुर्राहट सुनकर सभी ने अपने हथियार नीचे कर दिए।
"इसकी बात मत सुनो, खत्म कर दो इस साले को…!" कर्नल बेबस सा चिल्लाया, अरुण की मजबूत पकड़ में उसका साँस ले पाना भी मुमकिन न हो रहा था।
"चुपचाप अपने बाप का पता बता! मुझे उसका उधार चुकता करने का है।" अरुण ने पिस्टल उसके खोपड़ी से लगकत पूरी ताकत से दबाते हुए कहा। तभी एक गोली उसके कंधे के बगल से गुजरी, मगर उसे उसकी यह हरकत बहुत महंगी पड़ी, अगले ही पल वह जमीन पर तड़पता हुआ नजर आ रहा था, गोली उसके माथे को चीरते हुए उस पार निकल चुकी थी। अरुण की पिस्टल से धुँआ निकल रहा था।
"अरुण नाम है मेरा, तुम्हारी लाइफ रुंड कर दूंगा सालों! अगर अब किसी ने होशियारी की तो सब के सबकी यहीं कब्र बनेगी।" अरुण ने सभी को इशारे से धमकाते हुए गुर्राया।
"तुझे यह बहुत महंगा पड़ेगा अरुण!" कर्नल अपनी पूरी ताकत से अपने आप को छुड़ाते हुए बोला।
"अरुण को वैसे भी सस्ती चीजों का कोई शौक नहीं है, अब आखिरी बार पूछ रहा हूँ अपने बाप का पता बता?" अरुण जोरो से दहाड़ते हुए बोला।
"नहीं…!" कर्नल चीखा।
"धांय!" वह गोली कर्नल के खोपड़ी को चीरते हुए दूसरी ओर से निकल गयी। अरुण की आँखे उबलने लगी, उसने अपनी पकड़ ढ़ीली कर दी, कर्नल का मृत शरीर कटे वृक्ष के भांति गिर गया। इसी के साथ उन सभी की बंदूकें फिर तन गयीं। सभी का निशाना बस एक था : अरुण! नकाब के पीछे छिपे चेहरे के खौफनाक आँखों से जाहिर हो रहे थे। एक साथ कई गोलियां चल पड़ी, अरुण तेजी से उछलते हुए चट्टान पर जा खड़ा हुआ। इतनी गोलियों से एक साथ बच पाना असंभव था, बचते बचाते एक गोली उसके सीने को चीरते हुए निकल गयी, दूसरी गोली उसकी दाहिनी टांग में पेवस्त हो गयी। अरुण एकदम से धम्म से गिर पड़ा। उसके शरीर में कोई हलचल नही हो रही थी, सभी उसे वहीं छोड़कर आगे बढ़ने लगे। मगर अचानक ही उसने जोर से सांस लिया।
"ये तो अब भी ज़िंदा है!" एक ने उसकी नब्ज दुबारा जांचते हुए कहा।
"साला शैतान का अवतार है ये, भून डालो साले को!" दूसरा नकाबपोश शख्स अरुण पर गन तानते हुए बोला।
"नहीं! अब इसे बॉस अपने हाथों से मारेंगे, बहुत परेशान किया है इसने!" पहले वाले शख्स ने कहा।
"ले चलो, जल्दी जल्दी करो सब!" कहते हुए सभी अरुण के बेहोश पड़े शरीर को उठाकर एक ओर जाने लगे।
क्रमशः….
Seema Priyadarshini sahay
29-Nov-2021 04:34 PM
बहुत खूबसूरत लिखा सरजी
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Niraj Pandey
21-Nov-2021 09:14 PM
बहुत खूब
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Mukesh Duhan
21-Nov-2021 07:31 PM
बहुत सुंदर जी
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